श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि । भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै॥ राम काज करिबे को आतुर ॥७॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥ Just about every line has been translated with care to keep https://vashikaran93457.dailyhitblog.com/40357994/the-hanuman-chalisa-diaries