गाँधी जी बात सुनकर सफाईकर्मी के आँसू निकल गये. एक दोपहर एक लोमड़ी जंगल से गुजर रही थी और एक उदात्त शाखा के ऊपर से अंगूरों का एक गुच्छा देखा। जब बच्चे वर्तनी लिख ही रहे थे की शिक्षक ने देखा की गाँधी जी ने एक शब्द की वर्तनी गलत https://lokhitkhabar.com/