पुरश्चर्याविहीनं तु न चेदं फलदायकम्। फल सेमर का होम करीजै। निश्चय वाको रिपु सब छीजै।। एहि विधि ध्यान हृदय में राखै। वेद पुराण संत अस भाखै।। कवचं यः पठेद् देवि तस्यासाध्यं न किञ्चन। प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै। पीतवसन देवी पहिरावै।। In case you need to find out more about Maa https://mantra60483.bloggip.com/30684875/the-baglamukhi-diaries