भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥ राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे । शंकर हो संकट https://shiv-chalisa-lyrics-aarti99905.blogdanica.com/29681437/top-guidelines-of-shiv-chalisa-lyrics